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ई-नाम पोर्टल

हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

खरीफ का सीजन चल रहा है, धान की फसल लगभग तैयार होने को है कुछ ही दिनों में धान की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद मंडियों में धान की आवक शुरू हो जाएगी, इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट पर है। सरकार ने जल्द ही धान खरीद प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए कहा था, इसके लिए हरियाणा सरकार ने 1 अक्टूबर की तारीख तय की थी जब से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जाएगी। लेकिन राज्य के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार धान की खरीदी को आगे बढ़ा सकती है। हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले साल हमने धान की खरीदी बहुत जल्दी प्रारम्भ कर दी थी। उस दौरान हमने धान की खरीदारी 25 सितम्बर से प्रारम्भ कर दी थी, क्योंकि पिछले साल फसल जल्दी तैयार हो गई थी। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। धान की खरीद में नमी की उपस्थित एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है। फसल ख़रीदते समय हमें नमी के स्तर को भी ध्यान में रखना होगा। ज्यादा नमी वाली धान की फसल खरीदने योग्य नहीं होती है। उसके खराब होने की संभावना बरकरार रहती है। जब फसल पूरी तरह से सूख जाएगी, तभी से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जा सकती है। ये भी पढ़े: हरियाणा में बाजरा-धान खरीद की तैयारी पूरी पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने धान में खरीदी की देरी को लेकर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, उन्होंने कहा है कि राज्य की मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है, इसलिए राज्य सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सरकार समय से धान की खरीददारी प्रारम्भ करे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को 20 सितंबर से धान की खरीदी प्रारम्भ कर देनी चाहिए। पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के सुर में सुर मिलाते हुए मंडी आढ़तियों ने सरकार से 15 सितंबर से धान खरीदी प्रारंभ करने की गुजारिश की है, जो अभी शुरू नहीं हो पाई है। इन सबको दरकिनार करते हुए सरकार ने धान खरीदी के लिए 1 अक्टूबर की तारीख नियत की है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। धान की खरीदी में लेट लतीफी को देखते हुए हरियाणा के मंडी आढ़तियों ने 19 सितंंबर को हड़ताल घोषित करने की मांग की है। इसकी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी गई है। हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़तियों एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने बताया है कि मंडी आढ़तियों के प्रति राज्य सरकार की गलत नीतियों और ई-नाम पोर्टल पर बासमती व्यापार तथा धान की ऑनलाइन खरीद के विरोध में पूरे राज्य के सभी आढ़तिये 19 सितंंबर को हड़ताल पर जाएंगे। अशोक गुप्ता ने कहा कि राज्य में किसानों के भुगतान के लिए दो माध्यम होना चाहिए। यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज के बदले एजेंसियां सीधे उसको भुगतान करें, तो एजेंसियां कर सकती हैं। लेकिन यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज खरीद के बदले आढ़तिये किसान को भुगतान करें, तो इसकी परमिशन सरकार को आढ़तियों को देना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से जारी किया गया ई-नाम पोर्टल, फल-सब्जियों के कारोबार को मिली नई दिशा

केंद्र सरकार की तरफ से जारी किया गया ई-नाम पोर्टल, फल-सब्जियों के कारोबार को मिली नई दिशा

भारत में आजकल बहुत सारे व्यवसाय एक अच्छी दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। बदलते दौर और आधुनिक युग में कारोबार और व्यवसाय एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में भारत में ई-नाम का कारोबार भी काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। दो साल में ई-नाम का ऑनलाइन टर्नओवर लगभग 80 हजार रूपये तक पहुँच चुका है। केंद्र सरकार निरंतर किसानों के फायदे में कदम उठाती रही है। केंद्र सरकार का सदैव प्रयास रहता है, कि किसान भाइयों को उनकी फसलों का समुचित भाव किसानों को प्राप्त हो पाए। केंद्र सरकार की तरफ से इसी को लेकर e- NAM पोर्टल जारी किया है। बतादें, कि करीब 7 साल में ही इस पोर्टल से लाखों की तादाद में किसान जुड़ चुके हैं। हजारों करोड़ रुपये की खरीदारी इसी पोर्टल की सहायता से की गई है। इस पोर्टल की सफलता का आलम यह है, कि साल 2022-23 में e-NAM पोर्टल का आंकड़ा 32 फीसद तक बढ़ चुका है। बतादें, कि इसका कारोबार लगभग 80 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है, कि e-NAM पोर्टल पूर्व से ज्यादा चर्चा में हैं और ज्यादा लोग इस पोर्टल से जुड़ रहे हैं।

ई-नाम ने कारोबार को नई दिशा दी है

7 साल पूर्व ई- नाम फल-सब्जियों के व्यवसाय को ऑनलाइन करने के लिए निर्मित किया गया था। खास बात यह है, कि व्यापारी, किसान और किसान संघठन को पसंद कर रहे हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, साल 2022 में ई-नाम पोर्टल के अंतर्गत टर्नओवर 56497 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि साल 2022 में यह 31366 करोड़ रुपये था। मतलब कि इस पोर्टल पर किसान, उससे संबंधित संगठन फल-सब्जी एवं उससे जुड़े उत्पाद खरीद सकते हैं। कहा गया है, कि ई-नाम पर सीफूड एवं दूध को छोड़कर समस्त प्रकार का व्यवसाय किया जाता है।

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कृषि उत्पादों का कारोबार मिलियन्स तक पहुंच चुका है

ई-नाम के जो आंकड़ें सामने आए उनके मुताबिक, साल 2023 में 18.6 मिलियन टन जींस का व्यापार हो चुका है। साथ ही, विगत वर्ष 13.2 मीट्रिक टन कृषि उत्पाद का कारोबार ई-नाम से किया था। यह लगभग 41 प्रतिशत का इजाफा है। भारत के विभिन्न राज्यों में ई-नाम का चलन और इस्तेमाल काफी तीव्रता से बढ़ा है।

ई-नाम से किन किन राज्यों में खरीदारी हो रही है

झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, केरला और ओड़िशा के खरीदारों को विभिन्न उत्पादों की बिक्री हो रही है। इनमें चना, सोयाबीन, जीरा, आलू, सेब, सरसों और रागी की बिक्री इसी पोर्टल के जरिए से की गई। इनके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल, तमिलानाडु, ओडिशा, महाराष्ट्र और राजस्थान आदि प्रदेशों में भी विभिन्न उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है।